सनातन की वैदिक परम्पराओ को आत्मसात किये बिना अपूर्ण है ज्योतिष ज्ञान:-स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती

 सनातन की वैदिक परम्पराओ को आत्मसात किये बिना अपूर्ण है ज्योतिष ज्ञान:-स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती




ओजस्वी मन मवाना।

                              "ज्योतिष एक गहन साधना का विषय है।आजकल के तथाकथित ज्योतिषी वैदिक परम्पराओ से अनभिज्ञ हैं और आमजन की समस्याओं के निदान हेतु वैदिक उपाय न बताकर अनेक प्रकार से भ्रमित कर रहे हैं।जब तक हम ज्योतिष शास्त्र में सनातन की वैदिक परम्पराओ को आत्मसात नही करते , तब तक ज्योतिष का ज्ञान अधूरा है।" ये बातें गुरुकृपा सन्यास आश्रम, अझौता, मेरठ के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती जी महाराज ने कही।वह मवाना क्षेत्र के प्राचीन सिद्धपीठ मां भद्रकाली मंदिर में आयोजित विश्वशांति महायज्ञ एवं ज्योतिष सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

             सिद्धपीठ भद्रकाली माता मंदिर पर रविवार को विश्वशांति महायज्ञ एवं ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन आचार्य हरिओम शर्मा के संयोजन में किया गया।कार्यक्रम में श्री श्री 1008 स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती जी महाराज मुख्य अतिथि रहे तथा हस्तिनापुर विधायक व योगी सरकार में राज्यमंत्री दिनेश खटीक सहित अनेक जनप्रतिनिधि,समाजसेवी एवं ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता व जिज्ञासुओं ने सहभागिता की।मुख्य अतिथि स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती जी सहित सभी अतिथियों का माल्यार्पण के साथ अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये।वक्ताओं ने ज्योतिष शास्त्र के विषय मे अपने विचार रखते हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।वहीं मुख्य अतिथि स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती जी ने ज्योतिष शास्त्र एवं वैदिक सनातन परम्पराओ को लेकर अपने ओजस्वी विचार रखे जिस पर समस्त पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।सभी लोग स्वामी कनक प्रभानंद जी के ज्ञानामृत से स्वयं को बंधा हुआ महसूस कर रहे थे। स्वामी कनक प्रभानंद सरस्वती जी ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र में 12 स्थान,नवग्रह व 12 राशियों का अध्ययन विशेष है।इसके लिये हमें ज्योतिष व सभी ग्रहों के उदगम को जानने के लिये प्रयत्न करना चाहिये।ज्योतिषी यदि सच्चा साधक है तो वह स्वयं अपने गणित से यह बता सकता है कि प्रश्नकर्ता के मन मे क्या प्रश्न है।ईश्वर की साधना और वैदिक सनातन का ज्ञान हमारे ज्योतिष ज्ञान को परिपक्वता प्रदान करता है।उन्होंने कहा कि हम कहीं न कहीं पाश्चात्य संस्कृति की ओर खिंचते हुए नजर आते हैं। हमारे परिवारों में ही नही अपितु ज्योतिषियों द्वारा बताए जाने वाले उपायों में भी पाश्चात्य संस्कृति की ओर झुकाव दृष्टिगोचर होता है, जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।हमे वैदिक सनातन से जुड़े संस्कार और परंपराओं को अपनाते हुए ज्योतिष विषय पर आगे बढ़ना चाहिये।