बीआईटी में भव्य रूप से एकेडमिक इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का हुआ आयोजन
ओजस्वी मन मीरापुर।
भगवंत ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस (बिट संस्थान) द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में दूसरे दिवस रिसर्च पेपर प्रस्तुतीकरण के साथ ही एक भव्य *एकेडमिया इंडस्ट्री कॉनक्लेव* का आयोजन किया गया। भगवंत ग्रुप के भगवंत इंस्टीट्यूट आफ फार्मेसी द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस "फार्मा एडवांसमेंट-2025: ए.आई. ड्रिवेन एकेडमिक्स, इंडस्ट्री एवं स्टार्टअप इकोसिस्टम" के दूसरे दिन भी संस्थान में देश-विदेश के शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों, कंपनियों के सीईओ एवं अन्य विशेषज्ञों के साथ ही पश्चिम उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के अनेक संस्थाओं के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का जमावड़ा लगा रहा।
कॉन्फ्रेंस के सफल संचालन के लिए भारत सरकार में मंत्री जयंत चौधरी एवं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय लखनऊ उत्तर प्रदेश के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय तथा तकनीकी शिक्षा बोर्ड लखनऊ उत्तर प्रदेश के सचिव अजीत कुमार मिश्रा द्वारा शुभकामनाएं प्रेषित की गईं।इस अवसर पर मुख्य अतिथि दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंसेज एंड रिसर्च विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ दीप्ति पंडित रहीं। गेस्ट ऑफ आनर उत्तर प्रदेश के डॉक्टर एपीजे कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय लखनऊ के डीन प्रो. शैलेन्द्र के. सराफ एवं भगवंत ग्रुप के बोर्ड आफ गवर्नर्स में शामिल एवं बैक्सिल फार्मा, हरिद्वार के महानिदेशक डॉ. विभांशु विक्रम सिंह रहे। अन्य विशिष्ट पैनलिस्टों में, जैस्मीन (महानिदेशक, जिला उद्योग केंद्र मुजफ्फरनगर), टाइड्स बिजनेस इनक्यूबेटर, आजम अली खान (सीईओ, टाइड्स बिजनेस इनक्यूबेटर आईआईटी रुड़की), मौलिक वाजा (चीफ साइंटिस्ट ऑफिसर, म्यूटानेक्स, गुजरात), डॉ राजेश अग्रवाल (जनरल मैनेजर आरएंडडी, मोदी मुंडी फार्मा, उत्तर प्रदेश), योगेश शाह (चीफ कमर्शियल ऑफिसर - ग्लोबल ऑपरेशन, सलूड केयर (आई.) लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात), उपस्थित रहें।
इस अवसर पर प्रोफेसर दीप्ति एवं प्रोफेसर शैलेंद्र ने फार्मेसी क्षेत्र में उद्योग और अकादमिक जगत के बीच समन्वय को बढ़ाने पर जोर दिया गया। योगेश शाह ने न सिर्फ एथिकल और जेनेरिक दवाइयां के बीच अंतर को समझाया, बल्कि भगवंत ग्रुप के साथ फार्मा के क्षेत्र में एक ज्वाइंट वेंचर का भी प्रस्ताव रखा। आजम अली खान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैट जीपीटी के लाभ और हानि पर प्रश्नों के उत्तर दिए, तो डॉ. राजेश अग्रवाल ने विद्यार्थियों को 4 वर्षों के दौरान अपने पाठ्यक्रम के साथ ही प्लेसमेंट के समय की जाने वाली तैयारियों की टिप्स दीं। डॉ. विभांशु विक्रम सिंह ने शिक्षकों को समय के साथ शिक्षा एवं तकनीक में हो रहे बदलावों के साथ स्वयं को भी अपडेट रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को उद्योगों में इंटर्नशिप उपलब्ध करवाने की आवश्यकता का विचार भी प्रेषित किया। वहीं उत्तर प्रदेश सिविल सर्विसेज में चयन से पूर्व सिविल इंजीनियर रहीं सुश्री जैस्मिन द्वारा भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की एमएसएमई और स्टार्टअप से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई।समारोह स्थल उस समय तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, जब भगवंत ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अनिल सिंह द्वारा समारोह में उपस्थित भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश के के अधिकारियों से सभी भारतीय संस्थानों की ओर से एक अनूठी मांग कर डाली। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि उद्योगों और शिक्षा संस्थानों के बीच तभी अच्छा समन्वय रहेगा, यदि शिक्षा संस्थानों से 1 वर्ष के लिए शिक्षकों को उद्योगों में डेपुटेशन पर भेजा जाए एवं एक पॉलिसी बनाकर सरकार इसका खर्च वहन करें । उनके इस प्रस्ताव की सभी उपस्थित अतिथियों द्वारा भूरि - भूरि प्रशंसा की गई और इस विचार को भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े विश्वविद्यालयों से आये प्रतिनिधियों ने सरकार के सामने रखने का वचन दिया।भगवंत ग्रुप में इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में पूरे 2 दिन देश विदेश से आए फार्मेसी और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ और शोधकर्ता एकत्र रहे। इस सम्मेलन का उद्देश्य नई शोध, फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकियों, दवाओं के विकास, और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार के बारे में विचार-विमर्श करना था। कॉन्फ्रेंस में विभिन्न भाषाओं में सत्रों का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया एवं भारत के अनेक प्रांतो एवं विभिन्न देशों के विशेषज्ञों ने अपना नवीनतम शोध प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. अनुराग विजय अग्रवाल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, जेनरेटिव ए.आई. से जुड़े मिथकों एवं फार्मेसी के क्षेत्र जैसे ड्रग डिलीवरी, ड्रग डेवलपमेंट, क्लिनिकल ट्रायल्स और फार्मा सप्लाई चैन मैनेजमेंट में इन नवीनतम तकनीकों के इस्तेमाल से संबंधित विचार प्रस्तुत किये। विभिन्न विधाओं में शोधकर्ताओं ने विभिन्न नवाचारों, अनुसंधान परियोजनाओं और उद्योग-शैक्षिक सहयोग के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने उद्योग की जरूरतों को समझने और उन्हें शैक्षिक संस्थानों के शोध कार्यों के साथ जोड़ने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों को साझा किया। इस कॉनक्लेव का उद्देश्य फार्मेसी क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना और छात्रों एवं शोधकर्ताओं के लिए नए अवसरों की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना था। इस सम्मेलन में प्रमुख वक्ताओं ने फार्मेसी उद्योग में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर भी विचार विमर्श किया और बताया कि कैसे शैक्षिक संस्थान और उद्योग मिलकर इससे निपट सकते हैं।
डॉ. ऑगस्टिन एनटेमाफैक (अनुसंधान वैज्ञानिक, इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, यूएसए) ने सम्मेलन में एंटी-इबोला दवा खोज पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने इबोला वायरस से निपटने के लिए की जा रही नई अनुसंधान गतिविधियों और प्रभावी उपचार विकसित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर प्रकाश डाला। डॉ. एनटेमाफैक ने इस रोग के इलाज में नई दवाओं के संभावित विकास की दिशा में किए गए प्रयासों को साझा किया, जो आने वाले समय में इबोला के खिलाफ प्रभावी चिकित्सा समाधान प्रदान कर सकते हैं। उनके द्वारा किए गए शोध और निष्कर्ष चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान हैं।
डॉ.माइकल गुड ( प्रोफेसर,
इंस्टीटयूट फोर बायोमेडिकल एन्ड गलोबकोमिसक, गिरीफिथ यूनिवर्सिटी, क्विंसलेंड, आस्ट्रेलिया) ने फार्मा सेक्टर में ए.आई. के लाभ एवं हानि पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि
फार्मा उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कई लाभ हैं, जो अनुसंधान, विकास, और रोगों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। जैसे - दवा विकास में तेजी एआई का उपयोग दवाओं के डिज़ाइन और परीक्षण प्रक्रियाओं को तेज करने में मदद करता है। इससे नए उपचारों की खोज में समय और संसाधनों की बचत होती है। एआई तकनीकें मेडिकल इमेजिंग, पैटर्न रिकग्निशन, और डेटा एनालिसिस में मदद करती हैं, जिससे डॉक्टरों को सही निदान करने में आसानी होती है और गलत निदान की संभावना कम होती है। कस्टमाइज्ड इलाज एआई के माध्यम से व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ बनाई जा सकती हैं, जो रोगी के जीनोम, जीवनशैली, और अन्य डेटा के आधार पर अधिक प्रभावी होती हैं। नैतिक निर्णय लेने में सहारा एआई, विशेष रूप से नैतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में, बड़े पैमाने पर डेटा का विश्लेषण करके चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को बेहतर फैसले लेने में मदद करता है। वैश्विक स्वास्थ्य संकटों का समाधान एआई के माध्यम से महामारी जैसी स्थिति में त्वरित समाधान प्राप्त करना संभव होता है। मरीज की निगरानी और समर्थन एआई आधारित उपकरणों से रोगियों की निगरानी की जाती है, जिससे डॉक्टरों को बेहतर तरीके से इलाज की योजना बनाने में मदद मिलती है और मरीज को त्वरित देखभाल मिलती है।
इन लाभों के कारण, एआई फार्मास्यूटिकल उद्योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और भविष्य में इसके उपयोग की संभावना और भी अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
डिप्टी डायरेक्टर डॉ अजय गुप्ता एवं भगवंत इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी के प्रधानाचार्य डॉ सचिन सिंघल द्वारा सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया गया।
निदेशक डॉ अनुराग विजय अग्रवाल, उपनिदेशक डॉ अजय गुप्ता, सहनिदेशक डॉक्टर पुष्प्निल वर्मा, डॉ शीतल राजपूत, डीन डॉ अजय सिंह, जीएम दुष्यंत कुमार, डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ आदित्य शर्मा ललित वर्मा ,अंकुर चंद्रा, मेघा कटारिया ,आंशिका अग्रवाल , भारती ,विशाल कुमार ,सुनील कुमार ,पूवानन
,नाजिया बेगम ,आकाश
रवेंद्र कुमार ,विकास भारद्वाज आदि का सहयोग रहा।