15 वर्ष पुराने वाहनों को कबाड़ घोषित किया जाना सरकार की अपरिपक्वता:-देवराज पंवार।
ओजस्वी मन:-
"सरकार द्वारा 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को कबाड़ घोषित करना एक अपरिपक्वता एवं नासमझी का उठाया हुआ कदम है।इस निर्णय के दूरगामी परिणाम जनमानस पर होंगे तथा भाजपा का वोटबैंक भी इससे विशेष रूप से प्रभावित होगा।" ये बाते जनपद मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ समाजसेवी देवराज पंवार ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही।
वरिष्ठ समाजसेवी देवराज पंवार ने कहा कि
15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को कबाड़ घोषित किये जाने के सरकार के निर्णय से देश के सभी जिलों में लगभग डेढ़ लाख वाहन प्रति जिला इस परिधि में कबाड़ हेतु आ जायेंगे।जिसके दूरगामी प्रभाव जनमानस पर होंगे तथा भाजपा का वोटबैंक विशेष रूप से प्रभावित होगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की जेब इतनी भारी नही है कि वह नया वाहन ले सके।वह कुछ वर्ष चला हुआ पुराना वाहन ही खरीदता है।लगभग 7 वर्षो की किश्त अदा कर फाइनेंस किया हुआ वाहन ऋण से मुक्त होकर वाहन चालकों के प्रयोग में आता है।बहुत से डॉक्टर,वकीलो एवं कम प्रयोग करने वाले व्यक्तियों के वाहन भले ही 10-15 वर्ष की आयु के हो गये हों परन्तु उनका चालन 5-10 हजार किलोमीटर ही होता है और वह प्रदूषण मुक्त होते हैं।चूंकि वह कोई रोटी-सब्जी या कोई खाद्य पदार्थ नही है जो बासी हो जाये।वाहन फिर भी प्रदूषण मुक्त होकर चलने योग्य रहते हैं।नियम तो यह होना चाहिये कि पुराने वाहनों की फिटनेस उनके प्रदूषण मुक्त होने के संबंध में जांचकर परिवहन अधिकारियों द्वारा उसकी फिटनेस जारी होनी चाहिए।देवराज बोले कि सरकार का यह कानून काले कानून के रूप में आम जनता को झकझोर देगा।चूंकि सभी का अनुमान है कि वाहन उत्पादकों को प्रश्रय देने के लिये,उनको लाभ पहुंचाने के लिये यह कानून बनाया गया है।जिससे उनके उत्पाद बाजार में भारी मात्रा में बिक सके।इसके साथ ही जुगाड़ के रूप में मोटरसाइकिल,स्कूटर आदि से रेहड़ा बनाकर आजीविका जुटाने वाले भी प्रभावित होंगे और उनका आक्रोश भी सत्ताधारी दल को झेलना पड़ेगा।साथ ही इस कानून में यह भी व्यवस्था नही की गयी है कि जो 30-40 वर्ष से लेकर 100 वर्षो तक के पुराने वाहन विंटेज कार के रूप में रखे गये हैं , उनका क्या कानूनी संरक्षण होगा?साथ ही डीजल चालित वाहन जोकि कई-कई लाख किलोमीटर चलने पर भी प्रदूषण न फैलाकर अच्छी स्थिति में होते हैं , जो ज्यादा प्रदूषण मुक्त होते हैं तथा भारी कीमत में खरीदे जाते हैं तथा किसानों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ट्रैक्टर जो कि नया वाहन खरीदने की उनकी क्षमता नही है , ऐसे वाहनों को कबाड़ घोषित करना जन-जन को आक्रोशित करेगा तथा हर जिले में एक से डेढ़ लाख वाहन प्रभावित होंगे , जिनके मत एवं सोच सत्ताधारी दल के विपरीत चली जायेगी।उन्होंने कहा कि होना तो यह चाहिए कि जिस प्रकार पुराने मोबाइलों से अच्छे पुर्जे लेकर नये मोबाईल बनते हैं उसी प्रकार पुरानी गाड़ियों के अच्छे पुर्जे लेकर नयी गाड़ियां तैयार की जा सकती हैं , जिससे कि तकनीकी रूप से दक्ष मिस्त्रियों एवं कबाड़ियों को भी लाभ पहुंचेगा तथा एक अच्छी गाड़ी का 15 वर्ष का रजिस्ट्रेशन फिटनेस कराकर उसे प्रयोग किया जा सकेगा।देवराज बोले कि यही भारत जैसे गरीब देश मे अच्छी परिपाटी होगी तथा गरीब जनता के लिये अच्छी सोच होगी। ऐसे निर्णय से आम जनता भी अच्छी सोच विकसित कर सकेगी तथा जनहित हो सकेगा।क्योंकि 20-25 या 30 वर्ष से पुराने वाहनों के कागजात भी संभवतः परिवहन विभाग के पास उपलब्ध नही है।जिस प्रकार से भूमि की घरोनी बनाकर गांव-गांव में जमीनों के अधिकार आम जनता को देकर उन्हें मालिक बनाया गया है तथा साथ ही हरियाणा आदि सूबों में हथियारों के लाइसेंस देकर वैद्यानिकता बनायी गयी है तथा जैसे गैस सिलेंडरों के अभाव में लोगो के अवैध कनेक्शन वैध किये गये हैं, ठीक इसी प्रकार से पुरानी गाड़ियों को भी वैधानिकता देकर,उन पर टैक्स लगाकर शासकीय आय बढ़ाई जा सकती है।